बालाघाट। वर्ष 2023 की विदाई और नए वर्ष के आगमन को अब सिर्फ दो दिन ही शेष रह गए हैं। ऐसे में पर्यटन प्रेमियों और सैलानियों ने विभिन्न स्थानों पर पहुंचकर अलग-अलग तरह से नए वर्ष को सेलिब्रेट करने का मन बनाया है। जिले के प्रमुख पिकनिक व पर्यटन स्पॉट भी पर्यटकों को लेकर पूरी तरह से तैयार है, यहां हर विशेष मौको पर बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। प्रकृति के बीच परिवार और दोस्तों के साथ मौज मस्ती व पिकनिक मनाकर अपने दिन को खास मनाते हैं।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
कान्हा टाइगर रिजर्व भारत के बाघों के भंडार में से एक है, यह मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। वर्तमान में कान्हा क्षेत्र को दो अभयारण्यों में विभाजित किया गया है, हॉलन और बंजार। क्रमश: 250 और 300 किमी, कान्हा नेशनल पार्क 1 जून 1955 को बनाया गया था और 1973 में कान्हा टाइगर रिजर्व बनाया गया था। यह दो जिलों बालाघाट और मंडला में 940 किमी 2 किमी क्षेत्र में फैला है। पार्क में रॉयल बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुओं, सुस्त भालू, बारासिंघा और भारतीय जंगली श्वानों की आबादी है। रूडयार्ड किपलिंग के प्रसिद्ध उपन्यास द जंगल बुक में दर्शाया गया जंगल इस रिजर्व सहित जंगलों पर आधारित है।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के जबलपुर नैनपुर-गोंदिया खंड पर बालाघाट रेलवे स्टेशन स्थित है। जबलपुर से बालाघाट तक के लिए 2 सीधी ट्रेन हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र के बिरवा, गोंदिया में हाईव पट्टी भी है। इस माध्यम से भी यहां पहुंचा जा सकता है।
गांगुलपारा इको पर्यटन स्थल
जिला प्राकृतिक धरोहरो के बलबूते एक अलग पहचान रखता है। ऐसा ही एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल गांगुलपारा जलाशय इको पर्यटन क्षेत्र है। यह जिला मुख्यालय से महज 15 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां जिले का बहुचर्चित जलाशय है। यह जलाशय पहाडिय़ों और घने जंगलों के बीच मौजूद है। यहां का नजारा पर्यटको के दिल तक छू जाता है। यहां पहाडिय़ों और जंगलों के बीच प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। यहां पहाडिय़ों से कलकल ध्वनि से बहता झरने का नजारा व बोटिंग करने लोग पहुंचते हैं।
गर्रा वनस्पति उद्यान
वर्षों से जिलेवासियों के लिए सैर सपाटे व मनोरंजन का प्रमुख स्थान रहा वनस्पति उद्यान एक बार फिर नए वर्ष में गुलजार नजर आएगा। इस उद्यान में आने वाले लोग मनोरंजन, पिकनिक के साथ मॉ वैनगंगा नदी किनारे प्रकृति का रोमांच पाने पहुंचते हैं। आमजनों के लिए सुबह की सैर व तीज त्योहारों में पिकनिक का सुगम साधन बना 47 हेक्टेयर में फैले आरक्षित वन कक्ष क्रमांक 513 दक्षिण वन मंडल सामान्य वनस्पति उद्यान गर्रा को 1 सितंबर 2015 को वन विभाग ने बंद कर दिया था। इसके बाद इसे पुन: पर्यटकों के लिए शुरू कर दिया गया है। मुख्यालय से पांच किमी दूरी पर स्थिति इस उद्यान में सड़क व रेल मार्ग दोनों से पहुंचा जा सकता है।
यहां भी जा सकते हैं पर्यटक
जिले के उक्त पर्यटन स्थलों के अलावा मुख्यालय के समीप लगे जागपुर घाट, शंकरघाट, बजरंग घाट, डूटी घाट, किरनापुर डोंगरगांव, गढ़दा, हट्टा की बावली, लांजी का किला, नरसिंगा पहाड़ी, रमरमा वाटर फॉल, नहलेसरा बांध सहित दर्जनों क्षेत्र ऐसे हैं जहां सालभर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। वहीं विशेष मौको पर यहां मेला जैसी स्थिति रहती है।