कटंगी। माता-पिता की भूल के चलते जन्म के बाद जन्म प्रमाण पत्र ना बनाने की भूल का नतीजा आज एक 58 वर्षीय शख्स को सरकारी दफ्तर के चक्कर काटकर भुगतना पड़ रहा है। वहीं सरकारी दफ्तर में बैठा बाबू आवेदक से प्रमाण पत्र बनाने के एवज में पैसों की मांग रहा है। जिससे आवेदक पूरी तरह से हताश हो गया है। सरकारी सिस्टम के आगे लाचार बन चुके इस शख्स ने मीडिया को अपनी व्यथा सुनाई है। पूरा मामला कटंगी तहसील के ग्राम लोहमारा के एक ग्रामीण के जन्म प्रमाण पत्र से जुड़ा है जिसे पाने के लिए वह करीब 02 माह से सरकारी दफ्तर के चक्कर काट रहा है। वकील के जरिए बाबू को खर्चा पानी (पैसे) देने के बाद भी उसे प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है। आवेदक ताराचंद देवाहे ने बताया कि उनका जन्म 15 जुलाई 1966 को हुआ किन्तु परिजनों ने अज्ञानतावश उस वक्त जन्म प्रमाण पत्र नहीं बनवाया अब आवश्यक कार्य के चलते 58 साल की उम्र में प्रमाण पत्र की आवश्यकता पड़ी तो तमाम कागजी प्रक्रियाओं और दस्तावेजों के साथ प्रमाण पत्र के लिए बनवाने के लिए लोक सेवा केन्द्र में आवेदन किया तो जांच उपरांत आवेदन को अधिकारी ने निरस्त कर दिया। जिसके बाद पुन: एसडीएम के पास अपील की गई। इस बीच नायब तहसीलदार कार्यालय के बाबू ने आवेदक से पैसों की डिमांड की तो आवेदक ने एक वकील के जरिए बाबू को खर्चा पानी भी दे दिया किन्तु इसके बाद भी प्रमाण पत्र नहीं मिला और अब बाबू और अधिक पैसों की मांग करते हुए परेशान कर रहा है ऐसा वकील ने आवेदक को बताया है।  
    जनता से कामों के बदले रिश्वतखोरी को कम करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने प्रदेश की जनता को समय-सीमा में सरकारी सेवाओं का लाभ देने के लिए लोक सेवा केन्द्रों की हर तहसील में शुरुआत की थी। यहां पर आवेदक आवेदन कर समय सीमा में अपना काम करवा रहे है। मगर, जिन आवेदकों के आवेदन लोक सेवा केंद्र में लगने के बाद किसी भी कारण से निरस्त हो रहे है और आवेदक पुन: अपील कर रहे है ऐसे आवेदकों से बाबूओं के द्वारा रिश्वत मांगें जाने की शिकायत लगातार मिल रही है। दरअसल, लोक सेवा केन्द्र में आवेदन लगने के बाद कई बार कुछ आवेदकों के आवेदनों को संबंधित विभाग के अधिकारी समय अवधि बीतने पर सीधे निरस्त कर देते है। इस बीच जब आवेदक समय अवधि बीतने पर अपने आवेदन की प्रक्रिया को जानने के लिए लोक सेवा केन्द्र पहुंचता है तो उसे बताया जाता है कि आवेदन निरस्त हो गया है। चौकानें वाली बात तो यह है कि लोक सेवा केन्द्र में मौजूद कर्मचारियों को भी इस बात की जानकारी नहीं होती कि आवेदन निरस्त क्यों किया गया ऐसे में वह भी आवेदक को कोई ठोस जानकारी नहीं दे पाते और अपील करने की सलाह देते है और जब आवेदक अपील करता है तो कार्यालयों में बाबू उस काम के पैसे मांगते है।