अधिकारी आरोप को झूठा व बेबुनियाद बताकर ठंडे बस्ते में डालने का कर रहे प्रयास

बालाघाट। राइस मिलर्स द्वारा पिछले दिनों विपणन संघ अधिकारी और लेखापाल पर हर काम के लिए कमीशन मांगने का आरोप लगाया गया। उन्होंने आरो काटने, धान का परिवहन करने सहित मिलर्स से संबंधित कार्यों के लिए मेनू चार्ट के हिसाब से कमीशन मांगे जाने की बात कहते हुए इस पूरे मामले की शिकायत भारत सरकार के खाद्य विभाग सचिव को पत्र प्रेषित कर की है। इसके अलावा अन्य स्थानीय अधिकारियों को भी इनकी शिकायत देने की बात कही थी। इतना गंभीर आरोप लगने के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा इस पर अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। इस मामले की विधिवत जांच नहीं किए जाने से निश्चित ही कमीशन खोरी को बढ़ावा मिलेगा।राइस मिलर्स का आरोप है कि इस कार्यालय में पदस्थ  विपणन अधिकारी और लेखापाल चार्ट के अनुसार जिले के राईस मिलर्स से कमीशन की मांग करते है और जो उनके कमीशन की पूर्ति नहीं करता है, उसके काम में रोड़ा अटकाया जाता है। एक मिलर्स द्वारा साफ साफ कहा गया कि मिलिंग के अनुबंध के बावजूद उन्हें धान नही दिया जा रहा है। जिससे मिलो के मजदूर खाली बैठे है और उन पर बिजली खपत का भार पड़ रहा है। वही दूसरी ओर विपणन अधिकारी मिलर्स द्वारा लगाए गए सभी आरोपो को झूठा व बे- बुनियाद बता रहे है। अभी जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार विपणन अधिकारी द्वारा इस पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास किया जा रहा है।
जिसने कमीशन दिया उसका ही होता है काम
विपणन अधिकारी और लेखापाल के खिलाफ राइस मिलर्स का जो बयान आया, उसमे राइस मिलर्स राकेश अग्रवाल और सतीश छुटवानी ने बताया कि जिले में इतनी राईस मिलर्स ने मिलिंग के लिए अनुबंध किया है कि जिले की संपूर्ण धान की वह मिलिंग कर सकते है लेकिन वरिष्ठ स्तर पर गलत आंकड़े पेश कर जिले के मिलर्स को मिलिंग के लिए धान ना देकर दूसरे जिले मंडला और अन्य जिलो के राईस मिलर्स को धान दिया गया। वही धान सड़ रही है ऐसा बोलकर दूसरों से कमीशन लेकर उन्हें काम नहीं दिया जा रहा है। और यह पूरा खेल मेनु चार्ट की तरह कमीशन पर चल रहा है। जिले में विपणन अधिकारी और लेखापाल, कमीशन के मेनु चार्ट से धान के अनुबंध से लेकर उसका पेमेंट और आरो को तय करते है और जो राईस मिलर्स ऐसा नहीं करता है उसे आरोह नहीं दिया जाता है, जिसके कारण कई राईस मिलर्स के मजदूर या तो पलायन कर रहे है या फिर आवक और बिजली बिल की खपत से कम कमाई होने के कारण राईस मिलर्स मिले बंद करने का विचार कर रहे है। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने कमीशन देने से इंकार कर दिया तो अधिकारियों ने उन्हें काम ही नहीं दिया। इसके विरोध में इनकी शिकायत अधिकारियों से की है। भारत सरकार खाद्य विभाग सचिव को भी पत्र लिखकर मामले की जांच करने की गुहार लगाई है, हमारी मांग है कि ऐसे कमीशनखोर अधिकारी कर्मचारी को यहां से हटाया जाए।
ऐसे कमीशन खोर अधिकारी कर्मचारी को यहां से हटाया जाए
शिकायकर्ता मिलर्स ने बताया कि इस मामले में प्रमुख सचिव खाद्य मध्यप्रदेश शासन एवं सचिव खाद्य केन्द्र शासन को इसकी शिकायत आंकड़ो के साथ की गई है और उम्मीद है कि जांच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस कार्यालय में कमीशन खोरी का खेल धड़ल्ले से चल रहा है हर बात पर हर कार्य के लिए कमीशन की मांग की जाती है जो इसका विरोध करता है उसे काम नहीं दिया जाता और बाहर के मिलर्स को बुलाकर उनसे मोटा कमीशन वसूला जा रहा है। हमारी मांग है कि जल्द से जल्द मामले की जांच कराई जाए और ऐसे कमीशन खोर अधिकारियों कर्मचारियों को यहां से हटाया जाए।
सभी आरोप झूठे व बेबुनियाद है - रघुवंशी
इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान विपणन अधिकारी हिरेन्द्रसिंह रघुवंशी ने बताया कि राइस मिलर्स द्वारा कमीशन मांगने के जो भी आरोप लगाए गए हैं वह सभी आरोप झूठे व बेबुनियाद है। उन आरोपो का कोई आधार नहीं है जबरन ही झूठे आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने आगे बताया कि लेखापाल धान का आरोह देते हैं आरओ देने में किसी भी प्रकार के कमीशन की मांग नहीं की जाती। मिलर्स अभी सब शांत है।