कहा तीसरी बार रुपए न देने पर किया गया क्लिनिक सीज
नियम विरुद्ध कार्यवाही को लेकर कोर्ट जाने की दी चेतावनी

बालाघाट। जिले में बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहे नर्सिंग होम और क्लीनिक पर शिकंजा कसते हुए शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दो क्लिनिक को सीज कर दिया था। जिसमें प्रशासनिक कर्मचारियों ने परसवाड़ा में संचालित हंसा क्लीनिक और बैहर के महामाया डे केयर सेंटर को सील बंद करने की कार्यवाही की थी। जिला स्वास्थ्य विभाग टीम द्वारा की गई इस कार्यवाही पर बैहर में संचालित महामाया डे केयर के संचालक अभिजीत तिवारी ने आपत्ती जताई है जिन्होंने इस कार्यवाही को अनुचित बताते हुए स्वास्थ्य विभाग पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने जिला स्वास्थ्य विभाग टीम पर पैसों के लेनदेन का आरोप लगाते हुए बार बार रकम की मांग करने औऱ मांगी गई रकम न देने पर उनके क्लीनिक को सीज किए जाने की बात कही है। यह तमाम आरोप महामाया डे केयर के संचालक अभिजीत तिवारी ने नगर के एक निजी होटल में आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान लगाए।जिन्होंने इस मामले को लेकर कोर्ट जाने की भी चेतावनी दी है।
एक महीने में तीन बार करते थे निरीक्षण, मांगे जाते थे रुपए
पत्रकार वार्ता के दौरान छत्तीसगढ़ एमएससी अस्पताल प्रबंधक अभिजीत तिवारी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में उनका अस्पताल संचालित है। वे करीब 12 वर्षों से हेल्थ सेक्टर में काम कर रहे हैं। मूलत: बैहर निवासी होने के चलते उन्होंने बैहर में एक सेवा भाव से एक क्लीनिक खोला था क्योंकि बैहर क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाएं खराब है जिसके चलते वे नियमानुसार क्लीनिक का संचालक कर रहे थे, ताकि बैहर, गढ़ी और परसवाड़ा के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ दिया जा सके। उन्हें ओपीडी चलाने की अनुमति प्रशासन द्वारा दी गई थी। इसीलिए वह मरीज को भर्ती नहीं करते थे। उन्होंने बताया कि मेरे क्लिनिक में एमबीबीएस डॉक्टर नहीं है बोलकर क्लीनिक को सीज किया गया है। वही मरीज भर्ती के नाम पर यह कार्रवाई की गई है जबकि क्लीनिक में डॉक्टर चांदनी सचदेवा एमबीबीएस डॉक्टर है जो मरीज का उपचार करती है। क्लीनिक में एक भी मरीज भर्ती नहीं था ।बावजूद इसके भी एक महीने में दो से तीन बार क्लीनिक का निरीक्षण किया जाता था। उन्होंने बताया कि उनके क्लीनिक में एक्स-रे सुविधा नहीं थी जिसके संचालन की अनुमति भी उन्होंने मांगी थी लेकिन उन्हें अनुमति प्राप्त नहीं हुई थी। जिसके चलते एक्स रे का काम क्लीनिक में नहीं होता था। वही निरीक्षण के दौरान बार-बार उनसे रुपयों की डिमांड की जाती थी जब उन्होंने पैसे देने से इनकार कर दिया तो विभागीय अमले ने उनके क्लीनिक को सीज बंद करने की कार्यवाही कर दी।
तीसरी बार पैसे देने से इनकार किया तो कर दी कार्रवाई
श्री तिवारी ने स्वास्थ्य विभाग के अमले पर पैसों के लेनदेन के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि जब उनके क्लीनिक में पहले सेवानिवृत डॉक्टर काम करते थे तब कार्यवाही नही होती थी, उनके देहांत के तीसरे दिन ही उनके क्लीनिक में कार्यवाही करने पहुंच गई थी। एमबीबीएस डॉक्टर की पूछताछ की जा रही थी, उन्होंने बताया कि इन डेढ़ वर्षो में उनसे पैसों की कई बार मांग की गई। शुरू में डॉक्टर हेमंत बिसेन ने उनसे सीएमओ के नाम पर 6000 रूपये की मांग की जिसका पेमेंट उन्होंने चेक के माध्यम से किया था। उसके बाद क्लीनिक के संचालन के नाम पर अन्य लोग आए थे उन्होंने भी कागजी कार्यवाही के नाम पर पैसों की मांग की थी। इसके अलावा किसी एजेंट के माध्यम से उनसे 13000 रूपये मांगे गए थे जिस पर मांगी गई रकम उन्होंने सीएमओ कार्यालय में एजेंट के माध्यम से पहुंचाई थी। उसके बाद फिर क्लीनिक संचालन व अन्य डॉक्यूमेंट के नाम पर 3000 रूपये की मांग की गई थी बोले कि डॉक्यूमेंट का चार्ज लगेगा, जबकि डॉक्यूमेंट का चार्ज उन्होंने पहले ही चुका दिया था फिर भी मुझे लगातार पैसों की मांग की जा रही थी। जब मैंने पैसे नहीं दिए तो मेरे क्लिनिक को सीज किए जाने की कार्रवाई कर दी।
इस कार्यवाही के खिलाफ जाएंगे कोर्ट
उन्होंने आगे बताया कि पिछले 1 वर्ष से तीन चार बार उनके क्लीनिक का निरीक्षण किया जाता था। हर बार गलतियां निकाली जाती थी कभी सीएमओ के नाम पर तो कभी डॉक्यूमेंट के नाम पर पैसों की मांग की जाती थी। दो बार पैसे देने के बाद फिर उनसे पैसों की डिमांड की गई जब उन्होंने पैसे देने से इनकार कर दिया तो उनके क्लीनिक पर सीज की कार्यवाही की गई है। यह कार्यवाही नियम विरुद्ध की गई है उन्हें नोटिस दिया जाना था लेकिन बिना नोटिस के ही उन पर कार्यवाही की गई जिसके खिलाफ वे कोर्ट जाएंगे।
कार्यवाही होने पर इस तरह के आरोप लगाते हैं = सीएमएचओ
इसके संबंध में चर्चा करने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मनोज पांडेय ने बताया कि कार्यवाही होने पर इस तरह के आरोप लगते ही है। अगर पैसों की उनसे मांग की जा रही थी तो इस बात का जिक्र उन्होंने पहले क्यों नहीं किया। उनके द्वारा नियम विरुद्ध अस्पताल का संचालन किया जा रहा था, उन्हें क्लिनिक संचालन करने की अनुमति दी गई थी अस्पताल की नहीं। यह जो आरोप लगाए गए वह पूरी तरह निराधार है।