बालाघाट। इस विधानसभा चुनाव में बालाघाट जिले के कुछ सीटों में चौकाने वाले परिणाम सामने आए है।जनता को जितना भरोसा बालाघाट सीट का था उससे कही ज्यादा लांजी और बैहर सीट का था। कांग्रेसी ही नही जनता भी यह मानकर चल रही थी की जिले की 6 सीटों में से कोई सीट कांग्रेस के खाते में आए या ना आए लेकिन लांजी सीट को पक्का माना जा रहा था।लेकिन आखिर ऐसा क्या हो गया की कांग्रेस को अपनी पक्की सीट गवानी पड़ गई। लांजी में हार का जो सामना करना पड़ा उसके लिए कई कारण बताए जा रहे है, सबसे प्रमुख कारण प्रत्याशी सहित कांग्रेसियों में अति आत्मविश्वास का होना बताया जा रहा है। सभी लोग प्रत्याशी हिना कावरे तक यही जानकारी पहुंचाते रहे की वह अच्छे मतों से चुनाव जीत रही है, जिस प्रकार से हिना कावरे पिछले दोनो चुनावो को भारी मतों से जीतते आ रही थी उसी को देखते हुए कांग्रेसियों को पहले की तरह मेहनत करते हुए नही देखा जा रहा था। जिसका पूरा फायदा राजकुमार कर्राहे ने उठाया और अपनी मिलनसार छवि व स्वयं को जनता के बीच सेवक के रूप में दिखाकर चुनाव में फतह हासिल की। निश्चित ही जिस प्रकार की राजकुमार कर्राहे की कार्यशैली है वे लंबी रेस के राजनीतिक खिलाड़ी के रूप में ही नजर आएंगे।
मीडिया मैनेजमेंट रहा खराब
जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार लांजी सीट में भाजपा प्रत्याशी का मीडिया मैनेजमेंट काफी अच्छा था वही कांग्रेस प्रत्याशी का मीडिया मैनेजमेंट इस चुनाव में बहुत खराब रहने की बात कही जा रही है। यही कारण है कि बहुत से मीडिया कर्मी नाराज रहे और भाजपा की तुलना में कांग्रेस को बहुत कम जगह दी। चुनाव में प्रिंट मीडिया के साथ ही सोशल मीडिया का अहम रोल होता ही है परंतु इस चुनाव में माउथ प्रचार भी राजकुमार कर्राहे के पक्ष में अधिक रहने से लांजी सीट में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।
संजय उईके अपनी किस्मत से जीते
लांजी की तरह बैहर की सीट को भी कांग्रेस की पक्की सीट कहा जा रहा था। लेकिन मतगणना के दौरान अंतिम के कुछ राउंड में जिस प्रकार से भाजपा प्रत्याशी भगत सिंग नेताम ने कवर किया, यह लगने लगा था की यह सीट कांग्रेस के हाथ से जा रही है। वह तो लास्ट में बैलेट वोट ने कमाल कर दिया और संजय उईके को जीत दिला दी, इसे संजय उईके की अच्छी किस्मत ही कहा जायेगा। जबकि वास्तविकता यह है की इनका भी चुनाव में मीडिया मैनेजमेंट काफी खराब रहा, जिसे इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी उसके द्वारा पैसा बचाने के चक्कर में इस सीट का बचना मुश्किल हो गया था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नगर कांग्रेस के बड़े पदाधिकारी को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। भला हो निर्वाचन ड्यूटी में लगे शासकीय कर्मचारियों का जिन्होंने संजय उईके की नैया पार लगाई। इस पर मंथन किए जाने की आवश्यकता है जिस प्रकार का खराब मीडिया मैनेजमेंट लांजी और बैहर सीट का रहा है इसकी पुनरावृत्ति न हो, ताकि प्रत्याशियो को खामियाजा न भुगतना पड़े।