तापमान गिरा ठिठुरन बढ़ी
वारासिवनी।
गत् दो दिनों से बदली का मौसम बना हुआ हैं। जिसमें 5 दिसम्बर की सुबह से ही रिमझिम बारिश होती रही, जिससे तापमान में गिरावट आने से ठंड का अहसास बढ़ गया। वहीं मौसम खराब होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट देखी जा रही हैं, खरीफ  की तैयार फसल खेतों में रखी हैं, जिससे नमी के कारण पाखड एवं अंकुरित होने का डर किसानों को सता रहा हैं। वहीं रबी में लगने वाली फसलों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा हैं। जिसमें दलहन के साथ सब्जियों में इगियां एवं बीमारियां लग रही हैं। जिसके चलते किसान काफी चिंतित नजर आ रहे हैं।  
समर्थन मूल्य पर धान बेचने में हो रहा विलम्ब
किसानों को फसल की चुराई करने के बाद समर्थन मूल्य पर फसल को बेच देना था, परंतु उसमें अब उन्हें समय लगने की बात कही जा रही है कि जब फसल सूखेगी, उसके बाद ही खेतों से फसल को इक_ा कर आगे का कार्य किया जा सकता है। वर्तमान में फसल पूरी तरह गीली हो गई हैं, जिससे यह अभी स्पष्ट नहीं है कि फसल किसान के उपयोग की बचेगी भी या नहीं? ऐसे में किसानों के द्वारा अपने खेतों का निरीक्षण कर आवश्यक सुरक्षा के इंतजाम कर लिये गये हैं, परंतु फसल को नहीं उठाया गया है। उनके द्वारा मौसम के खुलने का इंतजार किया जा रहा हैं, जिससे उनकी फसल सूख सके और फसल की नमी कम हो, जिसके बाद वह आगे का कार्य कर सके।
लगातार हो रही बारिश से किसानों की फसल हुई गीली
बारिश का मौसम 5 दिसम्बर से आसमान में बदली से बना हुआ था, जो 6 दिसम्बर को भी बना रहा। इस दौरान जहां रात्रि में लगातार रूक रूक कर बारिश जारी रही, वहीं 6 दिसम्बर को भी शाम तक जारी रही। जिसके बाद कुछ समय के लिए बारिश रूकी, किन्तु बदली छायी रही। दोपहर में अचानक रिमझिम बारिश प्रारंभ हो गई, जो लगातार रात तक चलती रही। इस दौरान यह बारिश अपनी गति को कम 'यादा करती रही, बीच में एक बार बारिश बंद हुई, परंतु कुछ समय के बाद पुन: प्रारंभ हो गई। इस प्रकार से यह बारिश का यह दौर देर रात तक जारी रहा, जिसने किसानों की फसल खेत सहित पूरे क्षेत्र को भिगोकर रख दिया।
किसान मौसम खुलने का कर रहे इंतजार
गत दिवस सुबह से प्रारंभ हुई बारिश में किसानों को हल्की बूंदा बांदी लगी, परंतु जैसे ही लंबे समय तक यह बारिश जारी रही। जिसके साथ किसानों की चिंता बढ़ गई और सभी ने अपने खेतों में जाकर एक बार अपनी फसल का मुआयना किया। 5 दिसम्बर को आसमान में बादलों को देख कर किसान अपनी फसल इक_ा करने में जुट गए थे। परंतु अधिकांश किसानों की फसल कटाई के बाद खेत में पड़ी हुई थी, जो गीली हो गई थी। ऐसे में वह अब मौसम खुलने की प्रार्थना कर रहे हैं, ताकि सूर्य देव की चमक के साथ उनकी फसल भी सूख सके, जिससे वह आगे का कार्य कर शासन या व्यापारी को अपनी उपज दे सके।
बारिश नहीं खुली, तो किसानों को होगा आर्थिक नुकसान
गौरतलब है कि बालाघाट जिला मुख्य रूप से धान उत्पादक जिला माना जाता है, जहां पर खरीफ  और रबी दोनों फसल में अत्यधिक मात्रा में धान का उत्पादन किया जाता है। ऐसे में वर्तमान में खरीफ  की फसल की कटाई का दौर क्षेत्र में जारी हैं। जिसमें धान के बोझे बांधकर खराई रच दी गई है या खेत में फसल खड़ी हैं, उन्हें नुकसानी नहीं हैं। परंतु जिनकी फसल खेत में पड़ी हैं, उन्हें इस बारिश से समस्या है। ऐसे में उन्हें डर लगा हुआ है कि यदि एक से दो दिन यह बारिश का दौर चलता हैं, तो उनकी फसल पूरी तरह नष्ट हो जाएगी। जिससे ना ही उन्हें पैरा प्राप्त होगा और ना ही अनाज। ऐसी स्थिति में उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा, क्योंकि अधिकांश कृषक सोसाइटी से कर्ज लेकर फसल लगते हैं।
मौसम के बदलाव का असर सब्जियों एवं दलहन फसलों पर
वहीं किसानों ने बताया कि रबी सीजन के लिए किसान गेहूं, चना की बुआई करते हैं। लेकिन मौसम में आये बदलाव के चलते फिलहाल किसानों ने बुआई का कार्य रोक दिया है। वहीं जिन किसानों ने इनकी बुआई कर दी हैं। इस बादलों वाले मौसम के कारण दलहन की फसलों में भी इसका बुरा असर पड़ रहा हैं। सबसे 'यादा असर चना, अरहर, मटर की फसल पर पड़ रहा है। चना, अरहर और मटर में फूल आ गये हैं, कुछ खेतों में तो फगियां लगना भी प्रारंभ हो गई है। ऐसे में आसमान में बदली छाने से उन पर इगियां, कीड़े लगना प्रारंभ हो गए है। इसी तरह सब्जियों के उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है। बैगन, गोभी, भिंडी सहित अन्य सब्जियों में इगियां लगना प्रारंभ हो गई हैं।
नमी से फसल को होगा नुकसान - ओमप्रकाश पंचेश्वर किसान
किसान ओमप्रकाश पंचेश्वर ने बताया कि धान की कटाई हो गई हैं, कड़पे खेत में पड़े हुए हैं और बीच में बारिश होने से वह फसल गीली हो गई हैं। अब उसकी गहानी या बोझे बांधने का कार्य नहीं कर सकते हैं। खेत की जमीन भी गीली हो गई हैं, जहां पर पहले नमी बनी हुई थी। इसे लेकर अब समस्या है कि जब तक पूरी फसल और खेत सूखेगा नहीं, तब तक फसल का उठाव नहीं कर सकते हैं।
श्री पंचेश्वर ने बताया कि फसल में जो पैरा हैं, वह काला पड़ेगा और धान पर भी असर पड़ेगा। जो फसल खड़ी हैं, उसे नुकसान नहीं हैं, कटाई करने के बाद वह ठीक है। परंतु कड़पा पड़ा हुआ हैं, खेत में पानी जमा नहीं हैं और जिन लोगों ने खरई रच दी हैं, उसमें ऊपर का हल्का गीला होता हैं, परंतु नमी से अंदर भी दाना खराब होने की संभावना है।
बारिश के कारण आर्थिक समस्या होगी - सुखचंद कावरे
किसान सुखचंद कावरे ने बताया कि अभी बोझा समेट कर जमा कर रहे हैं, बारिश होने से फसल गीली होगी। इसमें जो दाना हैं, वह पीला लाल रंग का बनेगा। इस परिस्थिति में सरकार या व्यापारी पाखड़ चॉवल को खरीदने की सोचेगा और जब गहानी होगी, तभी इसे हम बेचने ले जाएंगे। श्री कावरे ने बताया कि शासन की खरीदी समर्थन मूल्य पर दो माह की होती हैं, पर इस बार 1 दिसंबर से चालू हो गई है । परंतु अभी हम अपनी फसल समेट रहे हैं, धान की फसल को बादलों से कोई नुकसान नहीं हैं, बरसात से समस्या है।