अनदेखी के चलते हो गया हैं जीर्ण-शीर्ण
उपेक्षा से उखड़े पत्थर, पुल पर बने बड़े-बड़े गड्ढे
 बालाघाट।
सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच महाकौशल की गोद में बसे बालाघाट शहर में वैसे तो स्वयं से निर्मित अपना कुछ बताने को शेष नहीं है। लेकिन प्राकृतिक संसाधान और अंग्रेजों द्वारा बनाई गई कुछ धरोहरें ऐसी हैं, जो शहर को अपनी एक अलग पहचान करवाती है। इन्हीं में से एक शहर के समीपस्थ ग्राम गर्रा में मॉ वैनगंगा नदी के बीच अंग्रेजों द्वारा बनाया गया पुलिया है, जिसे शहरवासी छोटे पुल के नाम से पहचाना करते हैं।
वर्तमान में यह छोटा पुल उपेक्षा व अनदेखी का शिकार होकर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा था। हालाकि दशकों बाद शहर की नगरपालिका प्रबंधक का इस धरोहर को सहेजने ध्यान गया। अब इस छोटे पुल पर नपा स्टॉपडेम बनाए जाने की कार्य योजना तैयार कर रही हैं। हालाकि अब तक इस दिशा में कोई सकारात्म प्रयास नहीं किए गए हैं। शहर के बुजुर्गजनों की माने तो यदि शीघ्र छोटे पुल का जीर्णोद्वार नहीं किया गया तो यह पुलिया पूरी तरह से विलुप्त होकर इतिहास के पन्नों में सिमटकर रह जाएगा। बालाघाट वासियों को इस नायाब धरोहर से भी हाथ धोना पड़ सकता है।
कई मायनों में अहम छोटा पुल
दिखने में साधारण लेकिन कई मायनों में अपना अलग महत्व रखने वाले छोटे पुल की खूबियां अनेक है। बताया जाता है कि बालाघाट जिले की स्थापना के समय से अंग्रेजों द्वारा यह पुल पत्थरों से बनाया गया है, जो शायद जिले में अब अकेला ही शेष रह गया है। पहले इसी पुल से आवागमन हुआ करता था, लेकिन 90 के दशक के बाद आबादी व नदी का जल स्तर पर बढ़ने से बड़े पुल का निर्माण किया गया। इसके बाद से ही इसकी पूछ परख कम होने लगी, वैनगंगा नदी में बढ़े जलस्तर के विहंगम दृश्य को देखने इस पुल का उपयोग किया जाता है। वहीं कई धार्मिक व अत्येंष्टी अनुष्ठान भी पुल के माध्यम से ही संपन्न करवाए जाते हैं। गर्मी के दिनों में यहां मेला जैसा महौल रहता है। तैराकी व पिकनिक के शौकीन इसी पुल में डेला लगाते हैं।
जल संग्रहण में भी महत्वपूर्ण
अंग्रेजी शासनकाल में बनाए गए छोटा पुल पर ही पेयजल संग्रहण के लिए अनुमानित 1990 में स्टॉपडेम का निर्माण वैनगंगा नदी में किया गया था। जहां पर ही प्रतिवर्ष नगरपालिका नगर की जलापूर्ति के लिए ग्रीष्म ऋतु से पूर्व फरवरी में प्लेटें लगाकर पानी का संग्रहण करती है, लेकिन छोटा पुल, उपयोगी होने के बावजूद अनदेखी का शिकार होते चले गया। इसका ऊपरी हिस्सा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। इसे बनाने की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है, लेकिन अब तक इस ओर नगरपालिका ध्यान नहीं दे रही थी।
स्टॉपडेम की बनाई जा रही कार्ययोजना
शहर की नगरपालिका परिषद की अध्यक्ष भारती सुरजीत सिंह ठाकुर के अनुसार नपा प्रबंधन इस छोटे पुल पर स्टॉपडेम बनाने की कार्ययोजना तैयार कर रही है, कार्ययोजना तैयार होते ही स्टॉपडेम का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। स्टॉपडेम बनने से न सिर्फ छोटे पुल को सहेजा जा सकेगा, बल्कि ग्रीष्म ऋतु में उत्पन्न होने वाले पेयजल संकट से कई गांवों को राहत मिलेगी। स्टॉपडेम के निर्माण के साथ ही छोटे पुल की सभी तरह की मरम्मत हो पाएगा। वर्तमान में इतिहास बनने की कगार पर पहुंचे इस पुलिया का आगामी कई वर्षो तक संरक्षण संभव हो पाएगा।
कई गांवों की बुझेगी प्यास
जानकारी के अनुसार वैनगंगा नदी का पानी आसपास के करीब दो सैकड़ा गांवों तक पहुंचता है। खासकर गर्मी के दिनों में छोटे पुल पर लोहे के गेट लगाकर पानी को संग्रहित कर रखा जाता है। ताकि नदी का पानी बहकर आगे न जा सकें और छोटे पुल पर पर्याप्त पानी संग्रहित कर रखा जा सके। यहां गेट बंद किए जाने से शहर के 33 वार्डो में भी जलापूर्ती हो पाता है। शहर के फिल्टर प्लांट से इसी संग्रहित पानी को फिल्टर कर शहर भर में सप्लाई किया जाता है।
 इनका कहना है

छोटा पुल नहीं रहा तो नगरपालिका को वैनगंगा नदी में गर्मी के लिए पेयजल संग्रहण करने की समस्या पैदा हो जाएगी। यदि छोटा पुल को पूरा ही स्टॉपडेम के रूप में कवर कर दें तो नवीनकरण से न केवल पूरे वर्ष नदी में पानी रहेगा, अपितु जलसंकट का सामना भी नागरिकों को नहीं करना पड़ेगा। वहीं पुलिया का अस्तित्व भी बनाया व बचाया जा सकता है। गंदी राजनीति और अफसरशाही के शिकार इस छोटे पुलिया का अस्तित्व अब समाप्त होने की कगार पर है। इसके साथ ही इससे जुड़ी कई यादें भी गुमनामी के अंधेरो में सिमटकर रह जाएगी। नपा के साथ ही प्रशासन को भी इस धरोहर को बचाने शीघ्रता से कार्ययोजना तैयार कर इस पर स्टॉपडेम बनाना जाना चाहिए।
वीरेन्द्र सिंह गहरवार, अध्यक्ष पुरातत्व शोध संस्थान बालाघाट

वैनगंगा नदी के छोटे पुल पर स्टॉपडेम बनाने के लिए काम शुरू करने की तैयारी है। पूर्व में लगी कुछ लोहे की प्लेेंटे बह चुकी है। ग्रीष्मकाल में जलसंकट की स्थिति निर्मित न हो इसके लिए यहां पुल पर ही स्टॉपडेम बनाने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है।
भारती ठाकुर, नपाध्यक्ष बालाघाट