गाजियाबाद । गाजियाबाद में ठोस कचरा प्रबंधन और सीवेज शोधन का समुचित प्रबंध नहीं होने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कड़ा रुख अपनाया है। ट्रिब्यूनल ने इसे पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के लिए गाजियाबाद नगर निगम (जीएनएन) और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) पर 200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी प्रमुख जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने जीएनएन पर 150 करोड़ और जीडीए पर 50 करोड़ रुपये का जुर्माना किया है। पीठ ने जुर्माने की रकम को शहर में पर्यावरण के सुधार पर खर्च करने का आदेश दिया है। एनजीटी ने जीएनएन और जीडीए को दो माह के भीतर जिलाधिकारी के अलग खाते में जुर्माने की रकम जमा कराने का आदेश दिया है। पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को गाजियाबाद में पर्यावरण सुधार के लिए कार्ययोजना तैयार करने और छह माह के भीतर इसे पूरा करने का आदेश दिया है। पीठ ने सीपीसीबी की ओर से पेश रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है। एनजीटी ने कांफेडरेशन आफ ट्रांस हिंडन आरडब्ल्यूए, गाजियाबाद की ओर से 2018 में दाखिल याचिका पर दिया है। ट्रिब्यूनल ने नोएडा प्राधिकरण को यमुना नदी के सिंचाई नाले में अनट्रीटेड सीवेज को गिरने से रोकने में विफल रहने के लिए जिम्मेदार ठहराने के एक महीने बाद यह फैसला सुनाया।