गाजियाबाद ।  गाजियाबाद में करीब चार लाख वाहन सड़कों पर प्रदूषण बढ़ा रहे हैं। यह हालत तो तब है कि जब दिल्ली-एनसीआर में ग्रैप लागू हुए एक माह का समय हो चुका है। एनजीटी के आदेशों को ताक पर रखकर बिना प्रदूषण सर्टिफिकेट वाले वाहनों का संचालन जारी है। उधर, परिवहन विभाग की कार्रवाई भी रस्म अदायगी तक सीमित है। दिल्ली-एनसीआर में एक अक्तूबर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू हो गया है। नियमों को ताक पर रखकर वाहनों का संचालन हो रहा है। एनजीटी के आदेशों के मुताबिक प्रदूषणकारी वाहन, ओवरलोडिंग वाहनों, बिना ढके और बिना ढके निर्माण सामग्री का परिवहन, 10 वर्ष पुराने डीजल एवं 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहनों के खिलाफ सड़कों का संचालन प्रतिबंधित है। बिल्डिंग मेटेरियल के सामान का बिना ढके परिवहन हो रहा है। गाजियाबाद की बात करें तो जिले में 11,12,020 वाहन पंजीकृत हैं। इनमें कुल 3.90 लाख वाहन सड़क पर बिना प्रदूषण सर्टिफिकेट के संचालित हो रहे हैं। इनमें व्यावसायिक, चौपहिया और दुपहिया वाहन शामिल हैं। इन वाहनों के सापेक्ष परिवहन विभाग की कार्रवाई रस्म अदायगी है। यह हालत तो तब है कि जब प्रवर्तन दल की चार टीमें काम कर रही हैं। लेकिन बिना पीयूसी वाहनों का संचालन परिवहन विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है। प्रदूषण जांच केंद्र 185 स्थानों पर लगे हैं। ज्यादातर पेट्रोल पंपों में केंद्रों का संचालन हो रहा है। तीन सालों में 54 पीयूसी केंद्र बढ़े हैं, यानि वाहन संचालक किसी फ्यूल पंप से वाहनों की जांच करा सकते है। लेकिन वाहन स्वामी गाड़ियों की जांच नहीं करा रहे हैं।