सोमवार की सुबह से ही कुंड के घाटों पर भीड़ दिखाई देने लगी और रात तक सैलाब उमड़ने लगा। रात 12 बजे महास्नान शुरू हो गया। कार्तिक नियम सेवा में ब्रजवास कर रहे देशी-विदेशी भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाई।मान्यता है कि अहोई अष्टमी पर्व पर रात में स्नान करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है। आस्था में मनोकामना पूरी होने के बाद भी श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं।राधा-कृष्ण की लीला के प्रतीक इस कुंड में स्नान के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचे। भक्तों ने गिरिराज जी की परिक्रमा करते हुए राधारानी कुंड पर पूजा अर्चना की। स्नान से पूर्व दीपदान किया गया।अहोई अष्टमी पर्व पर रात में स्नान कर श्रद्धालुओं ने दीपदान किया। दीपदान कर मनोकामना पूर्ण होने के लिए मनौती मांगी। भक्तों ने जल रूप में विराजमान राधाकृष्ण के युगल स्वरूप की आराधना करते हुए दीपदान किया। दीनदान से राधाकुंड के घाट झिलमिल नजर आ रहे थे।हाथ में माला-झोली तो मुख में राधा नाम लिए भक्तों ने राधाकुंड श्याम कुंड की परिक्रमा लगाई। हरिनाम संकीर्तन के बीच भक्तों की टोली उत्साह के साथ नाचते गाते हुए परिक्रमा लगा रही थी। श्रद्धालु राधे की भक्ति में डूबे नजर आए।मथुरा के राधाकुंड में उमड़ा आस्था का सैलाब