12 घाट से घिरे होने के कारण पड़ा था यह नाम

बालाघाट। सतपुड़ा की सुरम्य वादियों से घिरा और वैनगंगा नदी की गोद में बसे बालाघाट जिले को 31 दिसंबर को 128 वर्ष पूरे हो जाएंगे। वहीं हमारा जिला 129 वें वर्ष में प्रवेश करेगा, एक बार फिर जिले के स्थापना दिवस को मनाया जाएगा। ऐसे में इतिहास के जानकार शिक्षा और विकास के क्षेत्र में पुरातन से लेकर अब तक के समय को याद करते हैं तो सामने आता है कि हमें स्वतंत्र भारत से ज्यादा कुछ नहीं मिला। समय बीतता गया और विकास के वादे कागजों तक रह गए, इसलिए आज हमारा जिला वन और खनिज सम्पदा होने के बाद भी पिछड़ों के सूची में अव्वल होने को आमादा है।
ऐसे बना बालाघाट
ब्रिटिश शासन काल के डिप्टी कमिश्नर कर्नल ब्लूम फिल्ड को बालाघाट का जनक कहा जाता है। कर्नल ने इस बात को भाप लिया कि बालाघाट को जिला बनाए जाने से आस-पास के क्षेत्रों पर प्रशासनिक नियंत्रण रखा जा सकता है। इस कारण इसे जिला बनाए जाने की योजना रखी गई। सीपी एण्ड बरार सेन्ट्रल प्रोविनसेस एण्ड बरार के अंतर्गत भंंडारा जिला में था, जिसकी राजधानी नागपुर हुआ करती थी। उस समय 31 दिसंबर 1895 में बालाघाट को जिला बनाया गया। बैहर, लांजी, वारासिवनी तीन तहसील बनाई गई। आवश्यकता के अनुसार तहसीलों का विस्तार किया गया, वर्ष 1956 में स्वंतत्र मध्य प्रदेश की स्थापना के समय बालाघाट मप्र में शामिल हुआ। जानकारोंं के अनुसार 12 घाटो से घिरे होने के कारण इसका नाम 12 घाट रखा जाना था।  नामकरण के लिए यह कलकत्ता गया था, जहां पर उच्चारण की गलती होने के कारण 12 घाट के स्थान पर बालाघाट नाम हो गया। सुधार नहीं होने के कारण 12 घाट बालाघाट बन गया।
जिले की अर्थव्यवस्था
भारत में मैंगनीज उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत बालाघाट जिले से आता है। मलाजखंड में तांबे के भंडार देश में सबसे बड़ा माना जाता है। जिले के अन्य मुख्य खनिजों में बॉक्साइट, ग्रेनाइट, संगमरमर, डोलोमाइट, मिट्टी और चूना पत्थर हैं। 2006 में पंचायती राज मंत्रालय ने बालाघाट को देश के 250 सबसे पिछड़े जिलों में से एक (कुल 640 में से) नाम दिया। यह मध्य प्रदेश के जिलों में से एक है, जो वर्तमान में पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि कार्यक्रम (बीआरजीएफ) से धन प्राप्त कर रहा है।
इतिहास की बातेंं                        
सिख समाज के जानकारों के अनुसार इनके पहले  गुरू श्री गुरुनानक देव जी 15 सौ से 1550 ई के बीच बालाघाट होकर गुजरे थे। इस बात का प्रमाण उनके विश्व भ्रमण के नक्शे में अंकित है। स्वतंत्रता संग्राम की जानकारी रखने वालों के अनुसार गांधीजी अछूत समानता अधिकार आंदोलन के लिए धन एकत्रित करने के लिए आमगांव, कारंजा के रास्ते रजेगांव होते हुए बालाघाट से होकर गुजरे थे। इसके अलावा क्विंदती यह भी है कि रामपायली में वनवास के दौरान भगवान रामचंद्र जी पत्नी सीता और लक्ष्मण के साथ आया थे, जिसके कुछ प्रमाण भी मिलते है।      
प्रमुख घटना
20 फरवरी 1975 में हुए थाना कांड की वजह से बालाघाट को देश के नक्शे में जाना जाने लगा। इसके बाद सन् 1983-84 में मौत की ट्रेन के नाम से पहचाने जाने वाला नाहरा पुल कांड जिसमें ट्रेन की चार बोगी पुल से नदी में गिर जाने के कारण सौ से अधिक लोग काल के गाल में समा गए। सन् 1992 से नक्सलवाद के कारण हत्या, घटनाओं के कारण बालाघाट चर्चा में रहता है। 7 जून 2017 को पटाखा फैक्ट्री विस्फोट कांड जिसमें 27 लोग बारूद की आग में जिंदा जल गए। इस मामले ने जिले का नाम एक फिर देश की सुर्खियों में लाया। वहीं वर्ष 2018 के 21 नवंबर को मनी लीजेंड अनिल कांकरिया की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई, यह मामला भी खूब सुर्खियों में रहा। वहीं 2020-2021 में भी जिला नक्सलियों की घटनाओं से खूब सुर्खियों में रहा। वर्ष 2022-23 में करोड़ों रूपयों के डबल मनी मामला, पुलिस का चार इनामी नक्सलियों को मार गिराना प्रमुख घटनाओं में शामिल है।
परिवहन सुविधा
इतिहास कारों की माने तो 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में जिले में केवल 15 मील (24 किमी) पक्की सडक़ें थीं। साथ ही 208 मील (335 किमी) सडक़ें नहीं थी। जिले के माध्यम से जबलपुर-गोंदिया रेलवे लाइन जिले में 1904 में पूरी हुई थी। इसके बाद कटंगी तक ब्राडगेज का इजाफा किया गया है। सडक़ों के विस्तार के साथ ही अब गांव-गांव बस परिवहन सुविधा मुहैया हो पाई है।
प्रमुख व्यक्ति
जिले के तीन प्रमुख व्यक्ति के रूप में बालाघाट के जनक कर्नल ब्लूम फिल्ड मानेक मेरवान जी मुलना जिनको दीवान बहदुर एमएम मुलना साहब के नाम से जाना जाता है। इनके द्वारा दिए गए दान पर बालाघाट का स्टेडियम, पॉलीटेक्निक कॉलेज, पुराना फिल्टर प्लांट आज भी लोगों को सुविधा प्रदान कर रहा है। हालांकि नगर पालिका ने नया फिल्टर प्लांट बनवाया है। तीसरे व्यक्ति जटाशंकर त्रिवेदी जिनकी स्मृति में इनके परिजनों ने कालेज भवन शासन को दान दिया जो आज जिला का सबसे बड़ा कॉलेज है।    

खास-खास
मुख्यालय    बालाघाट
तहसील        10
क्षेत्रफल     कुल 9245 वर्ग किमी (3570 वर्गमील)
जनसंख्या     1701698
घनत्व        180 किमी2 (480 वर्गमील)
भाषा         प्रचलित हिन्दी
जनसांख्यिकी
साक्षरता        78.29 प्रतिशत
लिंगानुपात    1000 पुरुषो पर 1021 महिलाएं।